Myopia Disease: एक रिपोर्ट के अनुसार अभी जैसे हमारा स्क्रीन टाइम बढ़ रहा है उसके अनुसार मायोपिया इस प्रॉब्लम से हमे सामना करना पड़ सकता है। पूरे विश्व में यह स्थिति का सामना आज के दिन हो रहा है।
मायोपिया के 2 प्रकार
मायोपिया 2 प्रकार से हो सकता है। पहला होता है अक्षीय मायोपिया और दूसरा होता है अपवर्तक मायोपिया।
अब अक्षिय मायोपिया में दूर दिखाई दे रही वस्तु हमारे आखों के रेटीना के बहुत करीब आ जाती है। इसमें आंख का लंबा होना लगभग पॉसिबल है। अपवर्तक में कॉर्निया बहुत ज्यादा कॉन्वेक्स हो जाता है। इस प्रकार में लेंस का refraction इंडेक्स बढ़ना भी एक कारण होता है।
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के अनुसार 2050 तक दुनिया की 50% जनता को मायोपिया जैसी बीमारी का सामना करना होगा। WHO के अनुसार बहुत सारे जेनेटिक फैक्टर, वातावरण मे हो रहे बदलाव और अपनी लाइफस्टाइल में हो रहे बदलाव इसका सबसे बड़ा कारण बनेंगे।
जेनेटिक का क्या रोल होगा
ऐसा देखा गया है कि जिन पेरेंट्स में मायोपिया है उनके बच्चों के आखों का आकार लंबा होता है। इसी कारण से बच्चों में जेनेटिकली जल्द मायोपिया होने की संभावना है। अगर पेरेंट्स में मायोपिया है तो बच्चों में होने की 70% संभावना बताई गई है।
एनवायरनमेंट कैसे रोल अदा करता है
घर में रहने की आदत, स्क्रीन टाइम में हो रहे बदलाव और बच्चों में बाहरी खेल के अलावा घर में करी जाने वाली एक्टिविटी में हो रही बढ़त के कारण मायोपिया की संभावना बढ़ रही है। अभी अपने पास मोबाइल, टीव्ही और लैपटॉप जैसे डिवाइस के कारण स्क्रीन टाइम में बढ़त हुई है। इसका उपाय बाहर जाकर घुमकर आना है। लेकिन अभी के समय में हमे घर से बाहर निकलने का समय ही नहीं मिलता।
कैसे हो सकता है मायोपिया कंट्रोल
एक रिसर्च के अनुसार दिन भर में कम से कम 2 घंटे घर के बाहर बिताना आपके आखों के लिए सही होगा। ताइवान देश में बच्चों के लिए दिन भर में 120 घंटे बाहर खेलने को बोला गया था। इस कारण से उनके देश से मायोपिया का खतरा पूरी तरह से निकल गया है।